ओम प्रकाश चौटाला: संघर्ष, संगठित राजनीति और स्नेहपूर्ण नेतृत्व का प्रतीक

स्वर्गीय मुख्यमंत्री हरियाणा और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का जीवन संघर्षों और राजनीतिक संघर्षों से भरा रहा। उनका राजनीतिक सफर लगभग 57 वर्षों का रहा, और इस दौरान वे सत्ता में महज 5 साल, 7 महीने और 5 दिन के लिए काबिज रहे।

1968 में हरियाणा की राजनीति में कदम रखने वाले ओम प्रकाश चौटाला न केवल एक कुशल संगठनकर्ता थे, बल्कि उन्होंने अपने संगठन को मजबूती से खड़ा किया और उसे सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में सफलता हासिल की। उनका जीवन एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संघर्षों और मेहनत के जरिए राजनीति में अपनी पहचान बना सकता है।

ओम प्रकाश चौटाला न केवल एक कुशल संगठनकर्ता थे, बल्कि उन्होंने हमेशा दूसरों के दुख-सुख में भागीदारी की। पानीपत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और हथकरघा उद्योग के संस्थापक दीवान चंद भाटिया के निधन के समय उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि वह सिर्फ एक नेता ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी थे। जब वह हरियाणा के दूसरे छोर पर थे, तो अपने कार्यक्रमों को रद्द करके वह तुरंत पानीपत पहुंचे और शमशान घाट में अंतिम संस्कार से ठीक पहले पहुंचे।

चौटाला की कार्यकर्ताओं से जुड़ी व्यक्तिगत नजदीकी और उन्हें नाम से बुलाने की आदत ने उन्हें एक बेहद खास नेता बना दिया। उनके साथ जुड़े लोग हमेशा उनके साथ रहे, क्योंकि उन्होंने कभी भी उनके सम्मान में कोई कमी नहीं छोड़ी। उनका संबंध केवल एक नेता और कार्यकर्ता का नहीं, बल्कि एक परिवार के सदस्य जैसा था।

इनेलो के चंडीगढ़ कार्यालय में सेवादार के रूप में कार्य करने वाले राम बहादुर, जो मूल रूप से नेपाल से हैं, के लिए ओम प्रकाश चौटाला का निधन अपने पिता के निधन जैसा था।

1995 में हरियाणा आने के बाद, राम बहादुर ने चौटाला की सेवा की और उनका स्नेह प्राप्त किया। ओम प्रकाश चौटाला की यह विशेषता थी कि एक बार जो उनसे जुड़ता था, वह कभी नहीं भूलता था। उनके निधन पर राम बहादुर ने अपने पिता का साया उठने जैसी बात कही, जो चौटाला के प्रति उनके गहरे स्नेह और सम्मान को दर्शाता है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से, ओम प्रकाश चौटाला का हमेशा तीसरे मोर्चे के गठन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। जब-जब हरियाणा और देश में तीसरे मोर्चे ने आकार लिया, ओम प्रकाश चौटाला की भूमिका अहम रही। उनकी दूरदृष्टि और राजनीतिक समझ ने उन्हें राज्य और देश की राजनीति में एक मजबूत नेता बना दिया।

ओम प्रकाश चौटाला का जीवन हमें यह सिखाता है कि संगठन शक्ति, व्यक्तिगत स्नेह, और कड़ी मेहनत से राजनीति में एक स्थायी प्रभाव छोड़ा जा सकता है। उनका योगदान न केवल हरियाणा की राजनीति में, बल्कि देशभर में हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में इनेलो ने कई ऐतिहासिक क्षणों को साकार किया और उनकी राजनीतिक विरासत आज भी जीवित है।

ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के हिसार जिले के चोटाला गाँव में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD) के नेता हैं और हरियाणा के प्रमुख राजनेताओं में से एक माने जाते हैं। चौटाला ने कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और राज्य की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

चौटाला का राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और उनके परिवार के सदस्य चौधरी Devi Lal के साथ जुड़ा हुआ है। उनके दादा और पिता दोनों ही बड़े नेता रहे हैं, और उन्होंने उनके बाद राजनीति में कदम रखा। शुरूआत में वे अपनी पार्टी के भीतर एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए, लेकिन अपने कड़े संघर्ष, नेतृत्व क्षमता और जनता के साथ स्नेहपूर्ण रिश्तों के कारण उन्होंने शीघ्र ही एक महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता के रूप में पहचान बनाई।

ओम प्रकाश चौटाला का जन्म दिन हरियाणा में न केवल एक राजनीतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, बल्कि यह उनके जीवन और उनके योगदान को याद करने का अवसर भी होता है। उनका संघर्ष, संगठन की शक्ति और स्नेहपूर्ण नेतृत्व भारतीय राजनीति की एक अमूल्य धरोहर बन चुके हैं।

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