पंजाब में 15 प्रमुख हाईवे प्रोजेक्ट्स को रोक दिया गया है, जिनकी कुल लंबाई 604 किलोमीटर है। इन प्रोजेक्ट्स में शामिल कई महत्वपूर्ण सड़क निर्माण योजनाओं के बीच सबसे बड़ा नाम दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे है, जिसे भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। यह परियोजना राष्ट्रीय उच्च मार्ग (NHAI) द्वारा संचालित की जा रही है, और इसका उद्देश्य भारत के उत्तरी हिस्से में कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। हालांकि, इस परियोजना और अन्य हाईवे प्रोजेक्ट्स की राह में एक बड़ी बाधा खड़ी हो गई है—किसानों का विरोध।
किसानों का विरोध और भूमि अधिग्रहण की समस्या
इस समय, पंजाब में इन हाईवे प्रोजेक्ट्स को रोकने का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण से जुड़ी समस्याएं हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए 103 किलोमीटर भूमि का अधिग्रहण बाकी है, लेकिन किसान अपनी ज़मीन देने को तैयार नहीं हैं।
किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित मुआवजा राशि उनके लिए संतोषजनक नहीं है, और वे अपनी ज़मीन के बाजार मूल्य के हिसाब से उचित मुआवजा की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, उनका यह भी कहना है कि केवल मुआवजा राशि देने से काम नहीं चलेगा, वे चाहते हैं कि उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए, ताकि उनका जीवन स्तर प्रभावित न हो।

किसानों के विरोध के चलते इन परियोजनाओं का कार्य ठप हो गया है। कई बार किसान अपनी आवाज़ को तेज़ करने के लिए सड़कों पर भी उतर आए हैं, जिससे सरकार को इस समस्या को हल करने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं। अब तक, NHAI ने राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है ताकि जल्द से जल्द भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।
मुआवजे की समस्या
किसानों की सबसे बड़ी चिंता मुआवजे की है। उनका कहना है कि सरकारी प्रस्तावित दरें बहुत ही कम हैं और वे इनसे संतुष्ट नहीं हैं। किसान चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण के बदले उन्हें बाजार दर के हिसाब से मुआवजा मिले, जो उनकी ज़मीन की वास्तविक कीमत के करीब हो।
इसके अलावा, पुनर्वास की भी पूरी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि उनका जीवन बिना किसी बाधा के चलता रहे। किसान चाहते हैं कि उनके इलाके में जो नई सड़कों का निर्माण होगा, उससे उनके जीवन और कृषि गतिविधियों पर नकारात्मक असर न पड़े।
पंजाब के किसान पहले भी कई बार अपनी जमीनों के अधिग्रहण को लेकर आंदोलन कर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार को उनकी मेहनत और जमीन की क़ीमत का पूरी तरह से सम्मान करना चाहिए, और उन्हें सही मुआवजा दिया जाना चाहिए। यदि सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करती है, तो इसके परिणामस्वरूप भारी विरोध और विवाद हो सकता है।
केंद्र और राज्य सरकार के लिए चुनौती
यदि इस मुद्दे का समाधान जल्द नहीं निकाला जाता है, तो यह न केवल इन हाईवे प्रोजेक्ट्स को ठप कर सकता है, बल्कि केंद्र और राज्य सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौती भी बन सकता है। यदि किसान अपनी ज़मीन देने से इनकार करते हैं, तो इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में देरी हो सकती है, जिससे राज्य और केंद्र सरकार दोनों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।

वर्तमान में, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास यह चुनौती है कि वे किस प्रकार से किसानों से बातचीत करें और उनका विश्वास जीतें। साथ ही, उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि परियोजनाओं की निर्माण प्रक्रिया में कोई और रुकावट न आए, जिससे विकास योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़े।
भारतमाला परियोजना और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे
भारतमाला परियोजना के तहत बनाए जा रहे दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे का महत्व अत्यधिक है। यह एक्सप्रेसवे देश के उत्तरी हिस्से को महत्वपूर्ण शहरों और धार्मिक स्थलों से जोड़ेगा।
दिल्ली से लेकर कटरा और अमृतसर तक का यह मार्ग यातायात की दृषटि से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यापार, पर्यटन और परिवहन को बढ़ावा देगा। इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने से दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच यात्रा का समय कम होगा और यात्री अधिक सुविधाजनक यात्रा कर सकेंगे।
इसके अलावा, इस परियोजना के माध्यम से, पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों के किसानों को भी लाभ हो सकता है, क्योंकि इससे कृषि उत्पादों की ढुलाई और परिवहन में भी सुधार होगा। लेकिन जब किसानों को यह लगता है कि उनके हितों को नजरअंदाज किया जा रहा है, तो इस तरह की परियोजनाओं के खिलाफ विरोध स्वाभाविक है।

भविष्य में संभावित समाधान
इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को एक स्पष्ट रणनीति बनानी होगी। सबसे पहले, किसानों से संवाद बढ़ाना जरूरी है, ताकि उनकी मांगों को समझा जा सके और एक उचित समाधान निकाला जा सके। अगर मुआवजे के मुद्दे पर बातचीत संभव नहीं हो पा रही है, तो एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए किसानों और सरकारी अधिकारियों के बीच समाधान निकाला जा सकता है।
इसके अलावा, सरकार को पुनर्वास योजना को लागू करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि किसानों को सुरक्षित और संतोषजनक जीवन जीने का अवसर मिले। इस तरह, सभी पक्षों को संतुष्ट कर इन विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है।
पंजाब में 15 प्रमुख हाईवे प्रोजेक्ट्स पर रोक और किसानों का विरोध यह दर्शाता है कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से जुड़ी समस्याएं यदि सही तरीके से हल न की जाएं, तो बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं। सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है ताकि किसान भी संतुष्ट हों और परियोजनाओं का निर्माण समय पर पूरा हो सके।