जब आप किसी घर को किराए पर लेते हैं, तो एक Rent Agreement बनाया जाता है मतलब, एक ऐसा दस्तावेज़ जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि किराया कितना होगा, हर साल उसमें कितनी बढ़ोतरी हो सकती है, और बाकी जरूरी शर्तें क्या होंगी। ये Agreement दोनों, मकान मालिक और किराएदार, की सुरक्षा के लिए होता है।
लेकिन कई बार होता क्या है? मकान मालिक बिना Agreement की शर्तें देखे, अपनी मर्जी से किराया बढ़ा देते हैं। कुछ तो किराएदार पर दबाव बनाते हैं कि बढ़ा हुआ किराया दो, नहीं तो घर खाली करो। ऐसे में किराएदार को डरने की नहीं, अपने हक़ की जानकारी रखने की जरूरत होती है। कानून किराएदार को भी पूरी तरह से सुरक्षा देता है बस ज़रूरत है सही जानकारी और समझदारी से काम लेने की।
किराए पर घर लेते वक्त एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए मकान मालिक और किराएदार के बीच एक साफ-सुथरा, लिखित Rent Agreement ज़रूरी होता है।

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इस Rent Agreement में साफ लिखा होना चाहिए कि हर महीने कितना किराया देना है, कितनी सिक्योरिटी जमा रखी जाएगी, किराया कब और कितने प्रतिशत बढ़ेगा, और बाकी नियम क्या-क्या होंगे। अब बात आती है कानून की भारत में “रेंट कंट्रोल एक्ट” नाम का एक कानून है जो किराए से जुड़े मामलों को देखता है। हाँ, यह ज़रूर है कि हर राज्य में इसकी कुछ बातें अलग हो सकती हैं, लेकिन इसके जो बुनियादी नियम हैं जैसे किराएदार की सुरक्षा और मकान मालिक की सीमाएं वो पूरे देश में लागू होते हैं।
कभी-कभी मकान मालिक से बातचीत करने के बावजूद भी कोई हल नहीं निकलता। ऐसे में घबराने की ज़रूरत नहीं है आपके पास कई विकल्प होते हैं
कानूनी सलाह Rent Agreement
अगर मामला पेचीदा हो रहा है, तो किसी अच्छे Advocate से बात करें। वो आपको बता सकते हैं कि आपके पास क्या-क्या कानूनी रास्ते हैं और कौन सा विकल्प सबसे बेहतर रहेगा।

Rent control authority से मदद
भारत के कई राज्यों में Rent control authority होती है। ये संस्था किराए से जुड़ी शिकायतों को सुनती है और समाधान देती है। आप वहां अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Court का सहारा
अगर बाकी सभी रास्ते बंद हो जाएं, तो आप कानूनी कार्रवाई के लिए Court भी जा सकते हैं।
याद रखें किराएदार के रूप में आपके भी अधिकार हैं। अगर आपके पास एक वैध रेंट Agreement है और आप कानून की जानकारी रखते हैं, तो आप मकान मालिक की किसी भी मनमानी का डटकर सामना कर सकते हैं — और बिना किसी बेवजह की परेशानी के अपने घर में शांति से रह सकते हैं।
Read Latest News Neerexpress: अगर मकान मालिक तय शर्तों से ज़्यादा किराया मांगे या बिना कारण घर खाली करवाना चाहे, तो क्या करें? ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं, कुछ समझदारी भरे कदम आपको मदद कर सकते हैं:
Agreement देखें
अपने Rent Agreement को ध्यान से पढ़ें। उसमें साफ-साफ लिखा होगा कि किराया कितना होगा, कितनी बढ़ोतरी तय है, और किन हालात में घर खाली करवाया जा सकता है।
बातचीत से समाधान
शांति से मकान मालिक से बात करें। उन्हें Rent Agreement की शर्तों और आपके कानूनी अधिकारों के बारे में समझाएं। कई बार सही जानकारी देने से मामला आसानी से सुलझ सकता है।
किराएदार के हक़ Rent Agreement
मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ाया जा सकता, रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत मकान मालिक किराया सिर्फ Rent Agreement में तय शर्तों के अनुसार ही बढ़ा सकते हैं। अगर एग्रीमेंट में बढ़ोतरी की दर या समय तय नहीं है, तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। कुछ राज्यों में हर साल सिर्फ 5% से 10% तक की ही बढ़ोतरी मान्य होती है।

Read Latest News Neerexpress:घर खाली करवाने के लिए वजह और प्रक्रिया ज़रूरी है:
कोई मकान मालिक आपको यूं ही नहीं निकाल सकता। उसके पास वैध कारण होना चाहिए और उसे पहले Notice देना होगा। कई राज्यों में तो Court से आदेश लेना भी ज़रूरी होता है।
जरूरी सुविधाएं नहीं रोकी जा सकतीं,पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं किराएदार का हक़ हैं। भले ही किराए को लेकर विवाद हो, मकान मालिक इन सेवाओं को बंद नहीं कर सकता।