Swiggy, Jomato के Gig workers को मिलेगा पेंशन, Swiggy, Jomato, Amazon और Flipkart जैसी बड़ी कंपनियों से जुड़े लाखों डिलीवरी पार्टनर्स और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। आने वाले समय में इन गिग वर्कर्स को भी पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का फायदा मिल सकता है। जानकारी के मुताबिक, Ola, Uber और Amazon जैसी कंपनियों ने इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा।

सरकार की इस योजना के तहत अस्थायी यानी Gig workers के लिए एक पेंशन स्कीम लागू करने की तैयारी है। इस स्कीम के तहत कंपनियों को (Employees’ Provident Fund Organisation) के जरिए एक निश्चित राशि जमा करनी होगी। Gig workers को दो विकल्प मिलेंगे या तो वे खुद भी पेंशन फंड में योगदान करें या फिर केवल कंपनी द्वारा किए गए अंशदान के आधार पर पेंशन का लाभ उठाएं।
कौन हैं Gig workers?
Gig workers वे लोग होते हैं जो पारंपरिक स्थायी नौकरी की जगह अस्थायी या अनुबंध आधारित काम करते हैं। इनमें फ्रीलांसर, डिलीवरी बॉय, कैब ड्राइवर, कंटेंट क्रिएटर और अन्य डिजिटल या ऑनलाइन सेवाएं देने वाले प्रोफेशनल्स शामिल होते हैं। ये वर्कर्स आमतौर पर “पे-पर-टास्क” यानी काम के हिसाब से भुगतान मॉडल पर काम करते हैं और उन्हें नियमित कर्मचारियों जैसी सुविधाएं जैसे पेंशन, स्वास्थ्य बीमा या अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते।
Read Latest News Neerexpress:इस कदम की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही है क्योंकि लंबे समय से देश में यह मांग उठ रही है कि गिग वर्कर्स को भी पारंपरिक कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाए। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में गिग वर्कर्स के लिए एक Digital platform तैयार करने की घोषणा की थी। इस platform का मकसद है इन वर्कर्स का डेटा एकत्र करना और उन्हें स्वास्थ्य बीमा, बीमा कवर और अब पेंशन जैसी सुविधाएं मुहैया कराना।
आज के समय में Gig workers शहरी अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुके हैं। वे लगातार Delivery, pickup और Transport जैसी सेवाओं में जुटे रहते हैं। बावजूद इसके, इन्हें न तो स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं मिलती हैं और न ही रिटायरमेंट के बाद कोई आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है। खासकर Covid-19 के दौर ने यह बात और भी साफ कर दी कि इस वर्ग को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना अब कितना आवश्यक हो गया है।

भारत में गिग इकॉनॉमी से जुड़े लगभग 7.7 मिलियन यानी 77 लाख से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। ये वर्कर्स Food delivery, e-commerce, transport और अन्य सेवाओं में सक्रिय हैं। इनमें बड़ी तादाद युवाओं की है—कुछ पढ़ाई के साथ-साथ काम कर रहे होते हैं, तो कुछ ऐसे होते हैं जिनके पास कोई स्थायी नौकरी नहीं होती। इनकी आमदनी अक्सर तय नहीं होती और ये लोग बीमा, भविष्य निधि (PF), पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं से दूर रहते हैं।
Read Latest News Neerexpress:अब यह प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने पर Gig workers की एक बड़ी संख्या को पहली बार संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा के लाभ मिलेंगे। यदि यह योजना लागू होती है, तो इसे भारत के श्रम बाजार में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जाएगा।
जहां एक ओर वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा, वहीं दूसरी ओर कंपनियों के लिए भी यह कदम उनकी ब्रांड वैल्यू और वर्कर लॉयल्टी को बढ़ाने में सहायक साबित होगा। CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत यह एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। इसके अलावा, लंबे समय में यह कंपनियों को अपनी लागत स्थिर रखने, प्रशिक्षण पर खर्च कम करने और कर्मचारियों की स्थिरता को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
डिजिटल इंडिया की सफलता को देखते हुए, इस योजना को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लागू किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, गिग वर्कर्स का एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जा सकता है, जिसमें उनके काम के घंटे, आय और अंशदान की पूरी जानकारी होगी। इसी आधार पर पेंशन और बीमा लाभ निर्धारित किए जा सकते हैं। यह प्रस्ताव सिर्फ Gig workers को सामाजिक सुरक्षा देने का एक प्रयास नहीं है, बल्कि यह भारत में कामकाजी तरीके के बदलते रूप को स्वीकारने और उसे औपचारिक रूप से संरचित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।