भारत में मौसम एक बार फिर से चौंकाने वाले बदलाव की ओर बढ़ गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ताज़ा Report के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम Monsoon ने इस साल 13 May को ही दक्षिणी अंडमान सागर, निकोबार द्वीप समूह और बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में दस्तक दे दी है। यह एक असामान्य घटना है, क्योंकि पिछले सात वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब Monsoon ने तय समय से पहले कदम रखा है।

जलवायु विशेषज्ञों का कहना
जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान और समुद्र की सतह पर गर्मी की तीव्रता Monsoon की चाल को प्रभावित कर रही है। ऐसे हालात में समय से पहले आया Monsoon यदि असंतुलित तरीके से फैला, तो यह बाढ़ जैसी स्थिति या फिर कुछ क्षेत्रों में सूखे का कारण बन सकता है।
जैसे ही Monsoon ने अपनी शुरुआती दस्तक दी, वैसे ही एक और संभावित खतरा सामने आने लगा है चक्रवात ‘शक्ति’ की आशंका। भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जो धीरे-धीरे चक्रवात का रूप ले सकता है। अगर यह सक्रिय होता है, तो दक्षिण-पूर्वी तटीय इलाकों में तेज बारिश, जोरदार हवाएं और समुद्री तूफान जैसी स्थिति बन सकती है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि चक्रवात केवल समुद्र के किनारे बसे क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहते। इनका प्रभाव तटीय इलाकों से सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस किया जा सकता है। नतीजतन, खेतों में पानी भर सकता है, बिजली और संचार सेवाएं बाधित हो सकती हैं, यातायात ठप पड़ सकता है और लोगों की जान-माल की सुरक्षा पर संकट खड़ा हो सकता है।
Read Latest News Neerexpress: हर साल भारत में Monsoon की आमद June के पहले हफ्ते में होती है। लेकिन इस बार मौसम ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए लगभग तीन हफ्ते पहले ही अपनी मौजूदगी दर्ज करवा दी है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में Monsoon सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि खेती की नींव है। किसानों के लिए यह खबर जहां एक राहत की सांस हो सकती है, वहीं इसके साथ कई सवाल और संभावित खतरे भी खड़े हो जाते हैं।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भी मौसम का मिज़ाज
मौसम में हो रहे बदलाव अब सिर्फ दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों—दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश—में भी मौसम का मिज़ाज बदलने लगा है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में इन इलाकों में तेज़ हवाओं के साथ गरज और बारिश की संभावना जताई है। यह बदलाव Monsoon पूर्व की उस सामान्य अस्थिरता का हिस्सा माना जा रहा है, जो हर साल इस समय पर देखी जाती है।

जहां एक ओर यह बारिश तपती गर्मी से कुछ राहत दिला सकती है, वहीं दूसरी ओर तेज़ हवाएं और आंधियां कई परेशानियों को जन्म दे सकती हैं। पेड़ों के गिरने से रास्ते बंद हो सकते हैं, बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है और जनजीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए लोगों को सतर्क रहने और मौसम विभाग की चेतावनियों पर नज़र रखने की सलाह दी गई है।
केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में प्री-मानसून की पहली बारिश के संकेत सामने आने लगे हैं। इन इलाकों में तापमान में कुछ गिरावट महसूस की जा सकती है, लेकिन इसके साथ ही वातावरण में बढ़ती नमी उमस बढ़ा सकती है, जिससे लोगों को असहजता महसूस हो सकती है।
इस तरह का मौसम आमतौर पर संक्रमण के लिए अनुकूल माना जाता है। मौसम के इस बदलाव के दौरान सर्दी-खांसी, वायरल संक्रमण और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों—जैसे डेंगू और मलेरिया—का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना और साफ-सफाई बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
भारतीय मौसम विभाग ने तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है। मछुआरे, तटीय गांवों के निवासी और छोटे व्यवसायी, जो मौसम के प्रभाव में सीधे आते हैं, उन्हें हालात की गंभीरता को समझते हुए पूरी तैयारी के साथ रहना चाहिए।
Read Latest News Neerexpress: इस समय सबसे जरूरी है कि लोग किसी भी तरह की अफवाहों में न आएं और केवल मौसम विभाग या प्रशासन द्वारा जारी आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें। यदि आप किसी ऐसे क्षेत्र की यात्रा की योजना बना रहे हैं, जो संभावित रूप से चक्रवात की चपेट में आ सकता है, तो बेहतर होगा कि आप अपनी योजना पर दोबारा विचार करें। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना ही आपकी और दूसरों की सुरक्षा की गारंटी हो सकता है।
ऐसे हालात में प्रशासन की जिम्मेदारी सबसे आगे आ जाती है। यह जरूरी है कि राहत और बचाव कार्यों के लिए टीमें पूरी तरह से सतर्क और तैयार रहें। आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर सक्रिय हों और जनसंचार के माध्यम से हर स्तर पर सही और समय पर जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाए, ताकि किसी भी स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

सिर्फ प्रशासन ही नहीं, समाज की भूमिका भी कम अहम नहीं है। एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमें आगे आकर ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, बेसहारा जानवरों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और अपने आसपास की स्वच्छता बनाए रखने में योगदान देना चाहिए। सामूहिक ज़िम्मेदारी और सहयोग ही किसी भी आपदा से निपटने का सबसे प्रभावी उपाय है।