Diabetes Control Measures: Diabetes आज की तारीख में एक गंभीर और तेजी से फैलने वाली स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रही है। यह एक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। इसके परिणामस्वरूप, रक्त में शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
हालांकि Diabetes का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है—वह भी समय पर पहचान, उचित खानपान, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली के ज़रिए। Diabetes के लक्षण शरीर के कई हिस्सों में दिख सकते हैं, लेकिन त्वचा पर होने वाले बदलाव इसके शुरुआती संकेतों में से एक हो सकते हैं। अक्सर लोग त्वचा से जुड़ी इन सूक्ष्म समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर बड़ी जटिलताओं का कारण बन सकती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि Diabetes त्वचा को किस तरह से प्रभावित करती है और इन प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है।

Diabetes में त्वचा से जुड़े आम लक्षण Diabetes Control Measures

- त्वचा का मोटा और काला पड़ना
Diabetes के शुरुआती संकेतों में से एक है त्वचा का रंग गहरा होना और उसका मोटा हो जाना। यह बदलाव अक्सर गर्दन, बगल, कोहनी, घुटनों और कमर के आस-पास देखने को मिलता है। इस स्थिति को एकैंथोसिस नाइग्रिकन्स कहा जाता है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ रहा है। - सोरायसिस की समस्या
Diabetes से ग्रस्त लोगों में सोरायसिस का खतरा सामान्य से अधिक होता है। इसमें त्वचा पर लाल रंग के, खुजली वाले और परतदार चकत्ते उभर आते हैं। ये चकत्ते न केवल असहजता पैदा करते हैं, बल्कि जलन और दर्द भी दे सकते हैं। चूंकि सोरायसिस एक ऑटोइम्यून रोग है, यह Diabetes को और भी जटिल बना सकता है। - त्वचा का लाल होना और संक्रमण
Diabetes रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता अक्सर कमज़ोर हो जाती है, जिससे उनकी त्वचा आसानी से बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण की चपेट में आ सकती है। त्वचा का लाल पड़ना, फोड़े-फुंसी होना या मवाद से भरे छाले बनना स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया के संक्रमण का संकेत हो सकता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह संक्रमण गंभीर रूप धारण कर सकता है। - आंखों के आसपास पीले दाग या मस्से
जब शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, तो इसका असर त्वचा पर भी दिखने लगता है। विशेषकर आंखों के आसपास पीले रंग के छोटे-छोटे मस्सों का उभरना ज़ैंथेलाज्मा कहलाता है। यह स्थिति न सिर्फ Diabetes, बल्कि हाइपरलिपिडिमिया (खून में फैट की अधिकता) का भी संकेत हो सकती है।
Diabetes में त्वचा की देखभाल: ज़रूरी सावधानियां Diabetes Control Measures
त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सबसे पहली शर्त है Diabetes पर नियंत्रण। जब ब्लड शुगर स्तर संतुलित रहता है, तो त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं। इसके साथ ही, कुछ रोज़मर्रा की आदतें अपनाकर त्वचा की सुरक्षा और देखभाल की जा सकती है।

- मॉइस्चराइजिंग उत्पादों का चयन:Diabetes Control Measures
सूखी त्वचा को रोकने के लिए ऐसे साबुन और लोशन का इस्तेमाल करें जिनमें मॉइस्चर की मात्रा अधिक हो और रसायनों की मात्रा कम। नहाने के बाद त्वचा को हल्के हाथों से तौलिए से सुखाएं और तुरंत मॉइस्चराइज़र लगाएं—खासकर हाथों और पैरों की एड़ियों पर। ध्यान रखें कि पैरों की उंगलियों के बीच लोशन न लगाएं, क्योंकि वह हिस्सा नमी के कारण फंगल संक्रमण के लिए संवेदनशील हो सकता है। - चोट लगते ही तुरंत करें देखभाल:Diabetes Control Measures
Diabetes में मामूली कट या घाव भी संक्रमण का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर किसी तरह की चोट लगे, तो उसे बिना देर किए साफ करें, एंटीसेप्टिक लगाएं और जरूरत हो तो चिकित्सक से संपर्क करें। संक्रमण को नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।
3.त्वचा का निरीक्षण:Diabetes Control Measures
अपनी त्वचा की रोज़ाना जांच करने की आदत डालें। खासकर उन हिस्सों पर ध्यान दें जिन्हें आप आसानी से नहीं देख पाते जैसे पीठ, पैरों के तलवे और उंगलियों के बीच की त्वचा। यदि कहीं कोई लालिमा, चकत्ता, घाव, खुजली या रंगत में बदलाव नजर आए, तो इसे नज़रअंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें।
- ब्लड शुगर को रखें नियंत्रण: Diabetes Control Measures
त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ब्लड शुगर का संतुलित रहना बेहद ज़रूरी है। इससे संक्रमण की संभावना कम होती है और त्वचा की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसके लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और डॉक्टर की सलाह से दवाइयों का सही तरीके से सेवन जरूरी है। - त्वचा को रखें स्वच्छ और सूखा:Diabetes Control Measures
Diabetes से पीड़ित लोगों की त्वचा संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है, खासकर शरीर के वे हिस्से जहां पसीना या नमी ज्यादा रहती है—जैसे बगल, कमर और पैर। इन हिस्सों को हमेशा साफ और सूखा रखना चाहिए। जरूरत हो तो नमी को कम करने के लिए टैल्कम या मेडिकेटेड पाउडर का प्रयोग करें, ताकि बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण से बचा जा सके।