कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर :कश्मीरी गुलाबी चाय

कश्मीरी गुलाबी चाय, जिसे नून चाय या नमकीन चाय भी कहा जाता है, कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है। यह चाय सिर्फ कश्मीरियों का ही नहीं, बल्कि वहां आने वाले पर्यटकों का भी दिल छूने वाली है।

कश्मीर में इसे आतिथ्य का प्रतीक माना जाता है और यह कश्मीरी जीवनशैली का अहम् हिस्सा है। यह चाय विशेष रूप से ठंडी सर्दियों में गर्माहट और आराम देती है।

इस चाय को खास कश्मीरी हरी चाय की पत्तियों, पानी, दूध, मसाले, नमक, और बेकिंग सोडा से तैयार किया जाता है। इसके स्वाद में एक अनोखा संतुलन होता है—नमकीन और मसालेदार स्वाद, जो चाय के पारंपरिक स्वाद से बिल्कुल अलग है।

इसके साथ परोसी जाने वाली रोटियाँ, नमकीन कुकीज और अन्य पारंपरिक स्नैक्स चाय के अनुभव को और भी खास बना देते हैं।

‘समावर’ नामक परंपरागत केतली में तैयार की जाने वाली यह चाय आजकल रोज़मर्रा के बर्तनों में भी बनाई जाती है। पहले यह चाय कश्मीर, लद्दाख, और जम्मू के पहाड़ी इलाकों में अधिक लोकप्रिय थी, लेकिन अब जम्मू के अन्य हिस्सों में भी इसका सेवन बढ़ चुका है।

खासकर सर्दियों में, कश्मीरी मजदूर इस चाय को बेचकर अपनी आजीविका भी कमाते हैं और स्थानीय लोगों को यह स्वादिष्ट चाय प्रदान करते हैं।

कश्मीरी गुलाबी चाय न केवल स्वाद में अनोखी है, बल्कि यह कश्मीर की परंपराओं और गर्मजोशी का भी प्रतीक है।

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