इस वर्ष चारधाम यात्रा आरंभ होने के बाद 40 प्रतिशत पंजीकरण ऑफलाइन होंगे। Kedarnath Dham के लिए सबसे अधिक 3.29 Lakh श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है।
बाबा केदार के कपाट 2 मई को खुलेंगे, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 4 May को खुलेंगे। 30 April को अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ यात्रा का शुभारंभ होगा। पर्यटन विभाग ने 30 April से प्रारंभ होने वाली चारधाम यात्रा के लिए 20 March से ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। 10 दिनों के भीतर यात्रा के लिए विभिन्न तिथियों पर 10 Lakh से अधिक तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं।
पर्यटन विभाग की Report के अनुसार, Kedarnath Dham के लिए 3.29 लाख, बदरीनाथ धाम के लिए 3.02 लाख, गंगोत्री के लिए 1.85 लाख और यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए 1.79 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इस बार 60 प्रतिशत पंजीकरण Online होंगे, जबकि 40 प्रतिशत पंजीकरण यात्रा के आरंभ होने के बाद offline किया जाएगा।

Kedarnath Dham जाने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से 16 Km की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है, जो आमतौर पर 6 से 8 घंटे लगाती है।
पैदल यात्रा:
इस यात्रा में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
अक्सर देखा जाता है कि कई श्रद्धालु आपस में बिछड़ जाते हैं, विशेषकर बच्चे।
Kedarnath Dham की यात्रा के दौरान कई सुंदर नज़ारे देखने को मिलते हैं।
यात्रा मार्ग पर आराम करने की जगहें और आवश्यक सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।

Kedarnath Dham पहुंचने के लिए Delhi या अन्य शहरों से हरिद्वार या देहरादून तक Train, Bus, या Flight ली जा सकती है। इसके अलावा, Helicopter की सुविधा भी उपलब्ध है। श्रद्धालु फाटा, गुप्तकाशी, या सिरसी हेलिपैड से Helicopter बुक कर सकते हैं।
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Kedarnath Dham को जागृत महादेव के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि 2013 में इस क्षेत्र में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद, केदारनाथ मंदिर ही एकमात्र संरचना थी जो सुरक्षित रही। यह भगवान शिव की लचीलापन और शक्ति का प्रतीक है, जिन्हें जागृत महादेव के रूप में पूजा जाता है।
Kedarnath Dham मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव सभी कौरवों और अन्य रिश्तेदारों की हत्या के पाप से मुक्ति चाहते थे। इस उद्देश्य के लिए वे भगवान शिव की खोज में हिमालय की ओर गए। पांडवों को अपनी ओर आते देख भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर केदार में चले गए।

यह ज़िले के मुख्यालय, रुद्रप्रयाग से 86 km दूर स्थित है। यह Kedarnath Dham के लिए प्रसिद्ध है, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे हिन्दू धर्म के चारधाम और पंच केदार में शामिल किया जाता है।
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गौरीकुंड Kedarnath Dham का एक प्रसिद्ध प्रारंभिक बिंदु है, और यह अंतिम स्थान है जहाँ आप ट्रेक शुरू करने से पहले सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं। यह मंदाकिनी नदी के निकट स्थित है। गौरीकुंड मंदिर और इसकी झील यहाँ के सबसे लोकप्रिय आकर्षण हैं, जो समुद्र तल से लगभग 2,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं।
kedarnath मंदिर समिति के CEO Vijay थपलियाल ने यह पुष्टि की है कि केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 May 2025 को सुबह 7 बजे खुलेंगे। यह शुभ तिथि महाशिवरात्रि के अवसर पर उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद निर्धारित की गई है, जहां सर्दियों के महीनों में भगवान kedarnath की पूजा की जाती है।
यूटीडीबी के पंजीकरण पोर्टल पर जाएं और “रजिस्टर” पर क्लिक करें।
Kedarnath यात्रा अनुभाग में जाएं। “पंजीकरण” टैब पर क्लिक करें और “New पंजीकरण” विकल्प चुनें।
आवश्यक जानकारी भरें, जैसे व्यक्तिगत और संपर्क विवरण।