जीवन के अंतिम समय तक का संघर्ष- Dr. Bhim Rao Ambedkar

Dr. Bhim Rao Ambedkar साहिब ऐसे ही एक warrior थे जिन्होंने बचपन से लेकर जीवन के अंतिम समय तक discrimination और ऊँच-नीच के against लगातार संघर्ष किया। उन्होंने Tathagat Buddha और Guru Nanak के जीवन मूल्यों को समाज में लागू करने के लिए Indian Constitution की रचना की। हालाँकि Drafting Committee में 7 अन्य सदस्य भी शामिल थे, लेकिन उनके मुकाबले Dr. Ambedkar ही वो एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने पूरे मन से इस responsibility को निभाया।

Ambedkar एक visionary leader

14 April 1891 को सूबेदार Ramji के घर माता Bhima Bai की कोख से जन्मे इस युग पुरुष को दुनिया के 6 सबसे महान scholars में गिना जाता है। Dr. Ambedkar एक ऐसे visionary leader थे जो इस देश में रहने वाले हर इंसान को जाति, मज़हब और धर्म से ऊपर उठ कर एक ही परिवार मानते थे।

Read Latest News Neerexpress: बचपन में जब Dr. B.R. Ambedkar स्कूल जाया करते थे, तब हालात इतने disheartening थे कि उन्हें क्लास में बैठने के लिए एक mat तक नहीं दी जाती थी। During rainy days, उन्हें कीचड़ और पानी में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी—जैसे ये उनकी destiny बन गई हो। जातिगत भेदभाव इतना गहरा था कि उच्च जाति के स्टूडेंट्स और teachers उन्हें किताबें हाथ से देने से भी कतराते थे। इसके बजाय, किताबें देने के लिए एक लकड़ी की stick का इस्तेमाल होता था—ताकि उनका ‘स्पर्श’ न हो।

जीवन के अंतिम समय तक का संघर्ष- Dr. Bhim Rao Ambedkar
जीवन के अंतिम समय तक का संघर्ष- Dr. Bhim Rao Ambedkar

आत्मकथा “Waiting for a Visa

Dr. Ambedkar ने अपनी आत्मकथा “Waiting for a Visa” में इस कड़वे अनुभव का ज़िक्र किया है, जो दर्शाता है कि बचपन से ही उन्होंने untouchability और caste discrimination का कितना गंभीर दर्द झेला।

जहां एक ओर Baba Saheb ने casteism के खिलाफ एक निर्णायक battle लड़ा, वहीं दूसरी ओर उन्होंने nation building के लिए भी कई progressive ideas दिए। भारत के सबसे बड़े agriculture sector को लाभकारी बनाने के लिए उन्होंने सरकारों को नहरों को आपस में जोड़ने और ज़्यादा से ज़्यादा dams बनाकर बिजली उत्पादन को बढ़ाने की सलाह दी। स्वतंत्रता से पहले, उन्होंने British government को influence करके 8 बड़े dams बनवाने में अहम भूमिका निभाई, जो उनके visionary leadership को दर्शाता है।

50,000 किताबों का collection

जिस बच्चे को कभी किताब छूने तक की permission नहीं थी, उसी ने आगे चलकर एशिया की सबसे बड़ी private library खड़ी कर दी। मुंबई स्थित अपने घर ‘राजगृह’ में Dr. Ambedkar के पास लगभग 50,000 किताबों का collection था। ये किताबें उन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से मंगवाई थीं—covering subjects like economics, politics, sociology, religion, law, and literature.

उन्होंने एक बार कहा था, “My real wealth is these books.” उनकी hunger for knowledge का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब वो London School of Economics में पढ़ रहे थे, तब उन्होंने 8 साल का कोर्स सिर्फ 2 साल में पूरा कर लिया था।

Dr. Ambedkar के पास लगभग 50,000 किताबों का collection

Baba Saheb की extraordinary brilliance को उनके विरोधियों और कई सरकारों ने भले ही सराहा हो, लेकिन उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर समाज और देश को बड़ा loss पहुँचाया। शायद यही वजह है कि आज हम कई critical issues का सामना कर रहे हैं।

Read Latest News Neerexpress: Dr. Ambedkar ने बतौर प्रधानमंत्री नेहरू की चीन से बढ़ती friendship पर भी सवाल उठाए थे, लेकिन उनकी चेतावनियों को ignored कर दिया गया। नतीजा ये हुआ कि भारत को चीन द्वारा हजारों किलोमीटर ज़मीन गंवानी पड़ी। Baba Saheb ने हर भारतीय को ये clear message दिया था कि राष्ट्र किसी भी व्यक्ति, संस्था या धर्म से ऊपर होता है।

उन्होंने कहा था, “Ideas die when they are not translated into action.” यानी जब विचारों को practical implementation नहीं मिलता, तो वो विचार धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।

आज ज़रूरत है कि हम इस महान thinker, economist, और visionary leader के विचारों को अपनाएं और उनके footsteps पर चलते हुए एक मजबूत और समतामूलक समाज का निर्माण करें।

Baba Saheb Dr. B.R. Ambedkar ने 1940 में ही clearly predict कर दिया था कि पाकिस्तान एक अलग देश बनकर रहेगा। उन्होंने समय रहते population exchange की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और इसके methods and logistics को भी विस्तार से अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Thoughts on Pakistan” में सरकार और जनता को warn करते हुए बताया।

Dr. Ambedkar के birth anniversary

हर साल Dr. Ambedkar के birth anniversary पर करोड़ों अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देने उनके significant places जैसे भीम जन्मभूमि (डॉ. आंबेडकर नगर, MP), Deekshabhoomi (Nagpur), और Chaityabhoomi (Mumbai) पर इकट्ठा होते हैं। भारत के सरकारी संस्थानों और Buddhist Viharas में भी यह दिन पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है।

Dr. Bhim Rao Ambedkar

Read Latest News Neerexpress: Ambedkar Jayanti या Bhim Jayanti, जो 14 अप्रैल को मनाई जाती है, न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक celebration of equality, knowledge, and justice के रूप में मनाई जाती है। विशेषकर Ambedkarite Buddhists इस दिन को Dr. Ambedkar के lifelong struggle for equality के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। वे उन्हें symbol of social justice, intellect, और human rights movement का नेतृत्वकर्ता मानते हैं।

Dr. Ambedkar की पहली जयंती

Dr. Ambedkar की पहली जयंती 14 अप्रैल 1928 को पुणे में Sada Shiv Ranpise द्वारा मनाई गई थी। वे उनके devoted follower थे, जिन्होंने इस tradition की शुरुआत की।

उन्होंने Bhim Jayanti के अवसर पर बाबासाहेब की प्रतिमा को हाथी की अंबारी में रखकर, रथ और ऊँट पर grand procession निकालकर इस पर्व को festive celebration में बदला।

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