शौक से पैशन और फिर बिजनेस

शौक से पैशन और फिर बिजनेस: नाहर ब्रदर्स की सफलता की कहानी, कहते हैं शौक बड़ी चीज है, लेकिन जब वही शौक पैशन बन जाए तो वह सफलता की सीढ़ी चढ़ने का सबसे सशक्त माध्यम बन सकता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है नाहर भाइयों की, जिनका नाम है आनंद नाहर और अमृत नाहर। यह दोनों भाई सूरत के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं और आज एक ऐसे ब्रांड के मालिक हैं, जिसने खाने-पीने की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। इस ब्रांड का नाम है ZORKO, जो आज 100 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है।

शौक से शुरू हुई यात्रा

आनंद और अमृत दोनों इंजीनियर हैं, लेकिन उनका शौक कुछ और था। साल 2016 में आनंद ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया था, वहीं अमृत ने पर्यावरण इंजीनियरिंग में बी.ई. की डिग्री प्राप्त की। अपनी पढ़ाई के बाद, आनंद ने शेयर मार्केट में हाथ आजमाना शुरू किया, और एक ब्रोकरेज फर्म में बिजनेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करना शुरू किया। कुछ समय बाद अमृत भी शेयर मार्केट में सक्रिय हो गए। लेकिन उनकी जिंदगी में एक मोड़ आया जब कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल दिया।

शौक से पैशन और फिर बिजनेस

कोरोना के समय में मिला नया जुनून

साल 2020 में जब कोरोना की पहली लहर के कारण सब लोग अपने घरों में कैद थे, तो आनंद और अमृत को खाना पकाने का शौक लग गया। इस दौरान, दोनों ने घर पर नए-नए व्यंजनों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। आनंद और अमृत को कुकिंग का ऐसा शौक लगा कि वे इसके प्रति पूरी तरह से जुनूनी हो गए। दोनों ने फैसला किया कि वे अपनी पसंदीदा इस गतिविधि को एक पेशेवर रूप देंगे।

आनंद कहते हैं, “हमने लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर घर में पकाए गए नए-नए व्यंजनों की तस्वीरें पोस्ट कीं। इन तस्वीरों पर हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला, और हमें महसूस हुआ कि खाने के शौक को अगर सही तरीके से पेश किया जाए तो वह एक बिजनेस बन सकता है।” इस बीच, उन्होंने यह भी देखा कि रेस्टोरेंट्स में खाने के लिए ज्यादा पैसे खर्च होते थे, जबकि घर पर बने खाने की कीमत किफायती थी। यह विचार ही था, जो ZORKO की शुरुआत का आधार बना।

ZORKO का उदय

आनंद और अमृत ने कोरोना के बाद एक रेस्टोरेंट खोलने का फैसला किया। सूरत में उन्होंने एक छोटे से रेस्टोरेंट को 550 वर्ग फुट के एरिया में खोला। इसमें उन्होंने सिर्फ 50 हजार रुपये का निवेश किया और अपने खाने के बिजनेस की शुरुआत की। उनका यह रेस्टोरेंट फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करता था। आनंद और अमृत का सपना था कि वे एक ऐसा कैफे शुरू करें, जहां किफायती दामों पर बेहतरीन क्वालिटी का खाना मिल सके।

शौक से पैशन और फिर बिजनेस

इस रेस्टोरेंट में जंबो बर्गर, पिज्जा, मिल्कशेक जैसे आइटम्स थे। अपने रेस्टोरेंट के प्रचार के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया। अगर कोई ग्राहक सोशल मीडिया पर उनके रेस्टोरेंट को टैग करता, तो उसे अगले ऑर्डर पर 20 फीसदी की छूट मिलती। पहले ही महीने में इस आउटलेट ने 3 लाख रुपये का रेवेन्यू हासिल किया, और यह शुरूआत थी जोर्को की सफलता की।

तेजी से बढ़ता ब्रांड

आनंद और अमृत के लिए सफलता का रास्ता अब खुल चुका था। उनका पहला रेस्टोरेंट तो सफल हो ही गया, लेकिन उन्होंने इस सफलता को बस यहीं तक सीमित नहीं रखा। जल्द ही उन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करने का फैसला किया, और देखते ही देखते उनका ब्रांड सूरत से निकलकर देश के अन्य शहरों में फैल गया।

आज, ZORKO के 250 से अधिक आउटलेट देश के 42 से ज्यादा शहरों में मौजूद हैं। नाहर ब्रदर्स ने बिना किसी बाहरी फंडिंग के अपने इस ब्रांड को 100 करोड़ रुपये के कारोबार तक पहुंचाया है। इसके साथ ही, उन्होंने 400 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है।

सफलता का राज

नाहर ब्रदर्स की सफलता का सबसे बड़ा राज उनकी मेहनत, जुनून और कड़ी मेहनत में छुपा है। वे कहते हैं, “हमने कभी किसी से फंडिंग नहीं ली, बल्कि हमारी सफलता हमारी मेहनत और सही दिशा में लिए गए फैसलों का परिणाम है। हम चाहते थे कि लोग किफायती दामों में अच्छे और स्वादिष्ट खाने का आनंद ले सकें, और हम इस उद्देश्य में सफल रहे।”

शौक से पैशन और फिर बिजनेस

इन भाइयों का यह भी मानना है कि शौक को अगर सही दिशा में लगाकर उसे पैशन और फिर बिजनेस में बदला जाए तो सफलता पाई जा सकती है। उनके लिए, खाना पकाने का शौक अब केवल एक पेशा ही नहीं बल्कि एक मिशन बन चुका है।

ZORKO का यह सफर हमें यह सिखाता है कि किसी भी बिजनेस की सफलता केवल एक अच्छे विचार, जुनून और कड़ी मेहनत पर निर्भर करती है। नाहर ब्रदर्स ने अपने शौक को एक पेशेवर दिशा दी और इसके जरिए न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किए। आज ZORKO का नाम एक ब्रांड बन चुका है, जो देशभर में प्रसिद्ध है और इसने हमें यह सिद्ध कर दिया कि शौक से व्यवसाय तक की यात्रा सिर्फ मेहनत और समर्पण की है।

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