पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट अनिवार्य

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बैंकों को निर्देश दिया है कि वे सभी प्रकार के ईएमआई आधारित पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लागू करें। यह कदम कर्जदारों के लिए राहत का कारण बन सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो बढ़ती ब्याज दरों के कारण आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं। इस नई नीति का उद्देश्य कर्ज लेने वालों को ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से बचाना और उनके वित्तीय बोझ को कम करना है।

ईएमआई आधारित पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट

आरबीआई के अनुसार, अब बैंकों को सभी प्रकार के ईएमआई आधारित पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट प्रदान करना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि चाहे लोन की ब्याज दर एक्सटर्नल बेंचमार्क (जैसे रेपो रेट) से जुड़ी हो या इंटरनल बेंचमार्क (बैंक द्वारा निर्धारित रेट) से, सभी पर्सनल लोन पर एक निश्चित ब्याज दर लागू होगी।

इसके अलावा, कर्ज लेने वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें लोन मंजूरी के समय, ब्याज दर के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। इस जानकारी को की फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) और लोन एग्रीमेंट में शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अगर कर्ज की अवधि के दौरान कोई बदलाव किया जाता है, तो उधारकर्ताओं को इसकी सूचना समय-समय पर दी जाएगी।

उधारकर्ताओं के लिए राहत

इस कदम का मुख्य उद्देश्य उन लाखों उधारकर्ताओं को राहत देना है जो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मई 2022 के बाद से आरबीआई ने रेपो रेट को बढ़ाया है, जिससे बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों में भी इजाफा हुआ है। इससे कई कर्जदारों की ईएमआई में वृद्धि हो गई है, जबकि उनका मूल कर्ज (प्रिंसिपल) कम नहीं हो पा रहा है।

पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट अनिवार्य

आरबीआई का मानना है कि इस नए आदेश से कर्ज लेने वालों को स्थिरता मिलेगी और वे बढ़ी हुई ब्याज दरों के कारण आर्थिक संकट का शिकार नहीं होंगे। अगस्त 2023 में जारी एक और निर्देश के तहत, आरबीआई ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि वे कर्ज लेने वालों को फिक्स्ड रेट या लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प प्रदान करें। इससे उधारकर्ताओं को सहूलियत होगी और वे कर्ज चुकाने में आसानी महसूस करेंगे।

बढ़ते कर्ज और संकट में फंसे लोग

आरबीआई द्वारा यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत में कर्ज की स्थिति चिंताजनक हो गई है। आंकड़ों के अनुसार, छोटे कर्ज लेने वाले लगभग 50 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने चार या उससे ज्यादा लैंडर्स से कर्ज लिया है। इस प्रकार के कर्ज में डूबे हुए लोग अपने कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेने का सहारा ले रहे हैं, जिससे उनका कर्ज और बढ़ता जा रहा है।

इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट ब्यूरो CRIF High Mark के आंकड़ों से यह भी सामने आया है कि तीन या उससे ज्यादा लैंडर्स से कर्ज लेने वालों की संख्या 1.1 करोड़ तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा अक्टूबर 2022 तक तेजी से बढ़ा, जब महामारी के प्रभाव में कमी आई थी। ऐसे लोग जो एक कर्ज चुकाने के लिए दूसरा कर्ज ले रहे हैं, वे आर्थिक तंगी का शिकार हैं और बैंकों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन रहे हैं।

बैंकों को फिक्स्ड रेट विकल्प देना होगा

आरबीआई की नई नीति के तहत, बैंकों को कर्ज लेने वालों को फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का विकल्प प्रदान करना होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्जदारों को ब्याज दरों में अचानक बदलाव से नुकसान न हो। ब्याज दरों में वृद्धि के दौरान, खासकर रेपो रेट में वृद्धि के बाद, कर्ज चुकाने में कठिनाई हो सकती है।

पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट अनिवार्य

यह कदम कर्जदारों को मानसिक शांति प्रदान करेगा, क्योंकि उन्हें अब चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी कि भविष्य में ब्याज दरों में कितनी वृद्धि होगी। बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह विकल्प कर्ज लेने वालों के लिए सहज और स्पष्ट हो। इसके अलावा, कर्ज लेने वालों को नियमित रूप से तिमाही स्टेटमेंट भेजा जाएगा, जिसमें कर्ज की स्थिति, ब्याज दर, बची हुई ईएमआई, और बाकी कर्ज के बारे में सभी जानकारी होगी।

बैड लॉस और कर्ज में डूबे लोग

पिछले कुछ वर्षों में कर्ज में डूबे हुए लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी, तब कई लोगों ने कर्ज लिया था। लेकिन महामारी के बाद, जब ब्याज दरें बढ़ी, तो कर्ज चुकाने में समस्या उत्पन्न होने लगी।

इस स्थिति में, कर्ज लेने वालों को कई लेंडर्स से कर्ज लेने की आदत पड़ गई, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और बिगड़ने लगी। कई लोग कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लेने का रास्ता अपनाने लगे हैं, जिससे बैंकों के लिए बैड लॉस की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसे में आरबीआई का यह कदम इस संकट को नियंत्रित करने और उधारकर्ताओं की मदद करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है।

आरबीआई का यह कदम एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हो सकता है, जो कर्ज लेने वालों को राहत देगा और उन्हें बढ़ती ब्याज दरों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि उधारकर्ताओं को उनके लोन की सही जानकारी मिले और वे बिना किसी चिंता के अपने लोन की चुकता कर सकें। इस तरह की नीतियां भारतीय वित्तीय सिस्टम में स्थिरता और विश्वास को बढ़ावा देती हैं, और आने वाले समय में उधारकर्ताओं को अधिक सुरक्षित महसूस कराती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *