टिम कुक की Salary में 99 करोड़ रुपये का इजाफा: क्या हमें अपने देश के श्रमिकों के वेतन की चिंता नहीं करनी चाहिए? आजकल हमारे देश में एक महत्वपूर्ण बहस हो रही है कि हफ्ते में कितने घंटे काम करना चाहिए। इस मुद्दे पर विभिन्न विचार सामने आ रहे हैं, कुछ लोग काम के घंटे घटाने की बात कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे बढ़ाने के पक्ष में हैं। लेकिन इस चर्चा के बीच एक महत्वपूर्ण पहलू लगभग गायब है, और वह है वेतन (सैलरी)। जबकि आम कर्मचारियों के वेतन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, वहीं कुछ प्रमुख कंपनियों के उच्चतम पदों पर बैठे लोग अपनी सैलरी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर रहे हैं।
इस उदाहरण को बेहतर तरीके से समझने के लिए हम बात कर रहे हैं ऐपल कंपनी के सीईओ टिम कुक की Salary के बारे में, जिनकी सैलरी में एक साल में 99 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपनी आर्थिक नीतियों पर ध्यान दे रहे हैं या सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों की सैलरी बढ़ाने में व्यस्त हैं?

टिम कुक की बढ़ी हुई Salary
दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली टेक्नोलॉजी कंपनी ऐपल के सीईओ टिम कुक की सैलरी में 2024 में एक महत्वपूर्ण इजाफा हुआ है। ऐपल की वार्षिक प्रॉक्सी फाइलिंग के अनुसार, टिम कुक को साल 2024 में 74.6 मिलियन डॉलर (लगभग 643 करोड़ रुपये) मिले हैं, जबकि 2023 में उन्हें 63.2 मिलियन डॉलर (करीब 544 करोड़ रुपये) सैलरी मिली थी। इसका मतलब है कि एक साल में उनकी सैलरी में 18% की बढ़ोतरी हुई है, जो भारतीय मानकों में एक बड़ी राशि है।
इसमें किसी को भी हैरान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ऐपल एक बेहद लाभकारी और शक्तिशाली कंपनी है, लेकिन यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या इतनी बड़ी सैलरी एक व्यक्ति के लिए वाजिब है, खासकर जब हम अपने देश के लाखों कामकाजी लोगों के बारे में सोचते हैं, जिनकी सैलरी इतनी भी नहीं होती कि वे अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर सकें।
कुक की Salary में क्या शामिल है?
टिम कुक की सैलरी केवल बेसिक सैलरी तक सीमित नहीं है। इसमें शेयरों से मिली रकम और मुआवजा भी शामिल है। 2024 में उन्हें 3 मिलियन डॉलर (करीब 25 करोड़ रुपये) बेसिक सैलरी के तौर पर मिले हैं। इसके अलावा, उन्हें 58.1 मिलियन डॉलर (करीब 500 करोड़ रुपये) शेयरों के रूप में मिले हैं, और अतिरिक्त 13.5 मिलियन डॉलर (करीब 115 करोड़ रुपये) मुआवजे के तौर पर मिले हैं।

यहां पर एक दिलचस्प बात यह है कि कुक को इस बार मुआवजे के रूप में पहले के मुकाबले कम रकम मिली है। 2022 में उन्हें 100 मिलियन डॉलर (करीब 850 करोड़ रुपये) का मुआवजा मिला था, जबकि इस बार यह घटकर 13.5 मिलियन डॉलर (करीब 115 करोड़ रुपये) रह गया है। इसका कारण यह है कि ऐपल के शेयर की कीमत में वृद्धि के कारण मुआवजे में कमी आई है। हालांकि, कुक ने 2023 में अपने वेतन में खुद ही कटौती की थी, जो उनके नेतृत्व और नैतिक जिम्मेदारी का संकेत है।
ऐपल के शेयर की बढ़ती कीमत
ऐपल कंपनी के शेयर में पिछले एक साल में जबरदस्त तेजी आई है। अमेरिका में लिस्टेड ऐपल के शेयर की कीमत 234.40 डॉलर के आसपास चल रही है, जो एक साल में करीब 28% बढ़ी है। हालांकि, पिछले एक महीने में इसमें थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन इसके बावजूद कंपनी के शेयर का प्रदर्शन उल्लेखनीय है।
जब कंपनी के शेयरों में इस तरह की वृद्धि होती है, तो टिम कुक जैसे अधिकारियों को बहुत बड़ा मुआवजा और बोनस मिलते हैं, जो उनके वेतन में वृद्धि का कारण बनता है। लेकिन क्या यह ठीक है कि केवल एक व्यक्ति को इतनी बड़ी सैलरी मिले, जबकि बाकी कर्मचारियों के वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होती?
हमारे देश की Salary प्रणाली
हमारे देश में सैलरी की स्थिति काफी भिन्न है। जहां एक ओर कंपनियों के सीईओ को करोड़ों रुपये की सैलरी मिल रही है, वहीं दूसरी ओर एक औसत भारतीय कर्मचारी की सैलरी बहुत ही कम होती है। उदाहरण के लिए, कुछ कंपनियों के उच्च प्रबंधन के लोग अपनी सैलरी में भारी इजाफा कर रहे हैं, लेकिन औसत कर्मचारी की सैलरी में बहुत मामूली बढ़ोतरी हो रही है।
यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी सरकार और कंपनियां इस असमानता को दूर करने के लिए कुछ ठोस कदम उठा रही हैं? क्या हमें भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत नहीं है, ताकि हम अपने कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार कर सकें और देश में आर्थिक असमानता को कम कर सकें?
हालांकि यह सच है कि टिम कुक की Salary और ऐपल जैसी बड़ी कंपनियों के सीईओ की सैलरी उनके नेतृत्व और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर होती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर कर्मचारी का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण होता है। जब हम सैलरी और काम के घंटों की बात करते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि समग्र रूप से सभी कर्मचारियों को उचित वेतन और सम्मान मिलना चाहिए।
देश की आर्थिक नीतियों और श्रमिकों के अधिकारों पर ध्यान देना समय की आवश्यकता है, ताकि हम एक समान और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकें।