बुलडोजर एक्शन पर आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक बड़ा फैसला सुनाया गया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर सबका सपना होता है यह वर्षों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी है अगर किसी के घर को गिराया जाता है तो अधिकारी को यह साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अफसर खुद जज नहीं बन सकते हैं आज बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने और भी कई सारे कमेंट किए और देश के उन राज्य सरकारों को सख्त निर्देश जारी किया जिन राज्यों में बुलडोजर एक्शन कार्यवाही सबसे ज्यादा होती है जैसे कि उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश
राजस्थान समेत कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन के मामले देखने को मिलते हैं इससे पहले भी दो बार सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर मामले को लेकर सुनवाई हो चुकी है और इन दो सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी एक तो 17 सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमारे हाथ ना बांधे तो उस पर भी कोर्ट ने कहा था कि आसमान नहीं फट पड़ेगा अगर किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलेगा तो 12 सितंबर को सुनवाई हुई उसमें भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन मानो कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है और आपको पता होगा बुलडोजर
एक्शन पर अभी कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है यह आदेश भी दे रखा कि हमारी इजाजत के बिना किसी के भी घर में तोड़फोड़ ना कि जाए कोर्ट ने कहा कि आसमान नहीं फड़ जाएगा अगर किसी का घर नहीं तोड़ा तो और उसके बाद वाली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन जारी करेंगे उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के कई एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव भी मांगे और कहा कि सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते हैं यहां तक कि वह दोषी हो तब भी उसके घर को नहीं तोड़ा जा सकता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी यह कहा था
क्योंकि अगर घर का कोई एक बंदा एक शख्स अगर आरोपी है तो उसकी सजा पूरे परिवार वालों को क्यों मिले क्योंकि अगर मान लो एक किसी के घर का एक बेटा अगर अपराधी है उनके घर को तोड़ा जाता है तो उनकी मां बाप उनकी बहन उनके दूसरे भाई वह कहां रहेंगे क्या एक घर का सदस्य अपराधी है इसकी सजा पूरे परिवार को भुगतनी पड़ेगी यह तो वो वाली बात हो गई तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले को लेकर 15 बड़ी गाइडलाइंस जारी की गई और देश भर की सभी राज्य सरकारों को यह सख्त निर्देश भी दिए हैं
15 गाइडलाइंस में क्या-क्या सुप्रीम कोर्ट ने बातें कही
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नोटिस दिए बिना कार्यवाही नहीं कर सकते हैं 15 दिन का वक्त देना होगा चलिए
पहला नंबर वन अगर बुलडोजर एक्शन का ऑर्डर दिया जाता है तो इसके खिलाफ अपील करने के लिए भी सामने वाली पार्टी को वक्त दिया जाना चाहिए दूसरा रातों-रात घर गिरा दिए जाने से महिलाएं बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं और यह एक अच्छा दृश्य नहीं होता है इन्हें अपील का वक्त भी नहीं मिलता है तीसरा हमारी गाइडलाइन अवैध अतिक्रमण जैसे कि सड़कों या नदी के किनारे पर किए गए अवैध निर्माण के लिए नहीं है मतलब अगर कहीं अवैध निर्माण
हो रहा तो उसको प्रशासन हटा सकता है उसको राज्य सरकारें ढा सकती हैं लेकिन सिर्फ अपराधी या दोषी होने से उनका घर तोड़ा जाता है तो उस पर सुप्रीम कोर्ट की ये गाइडलाइन है
चौथा पॉइंट है 100 कोज नोटिस के बिना कोई निर्माण नहीं गिराया जाएगा पांचवा पॉइंट है रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए कंस्ट्रक्शन के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और इसे दीवार पर भी चिपकाया जाए
छठा पॉइंट नोटिस भेजे जाने के बाद भी 15 दिन का समय दिया जाए अपराधी को प्रशासन द्वारा यह कार्यवाही करने से पहले
सातवां पॉइंट कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी इस बात की जानकारी दी जाए
आठवां पॉइंटडीएम और कलेक्टर ऐसी कार्यवाही पर नजर रखने के लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करें नवां पॉइंट नोटिस में यह भी बताया जाए कि इस निर्माण को क्यों गिराया जा रहा और इसकी सुनवाई कब होगी किसके सामने होगी और एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाए जहां नोटिस और ऑर्डर की पूरी जानकारियां सभी लोगों को मिल पाए
10वां पॉइंट अधिकारी पर्सनल हियरिंग करें और इसकी रिकॉर्डिंग की जाए फाइनल ऑर्डर पास किए जाए और इसमें बताया जाए कि निर्माण गिराने की कार्यवाही जरूरी है या नहीं साथ ही यह भी कि निर्माण को गिराया जाना ही आखिरी रास्ता है 11वां पॉइंट उस ऑर्डर को भी डिजिटल पोर्टल पर
दिखाया जाए
12वां पॉइंट अवैध निर्माण गिराने का ऑर्डर दिए जाने के बाद व्यक्ति को 15 दिन का मौका दिया जाए ताकि वह या तो खुद आवेज निर्माण गिरा सके या तो उस निर्माण को हटा सके और अगर इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया गया तभी बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा
13वां पॉइंट निर्माण गिराए जाने की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाए और इसे सुरक्षित रखा जाए और कार्यवाही की रिपोर्ट म्युनिसिपल कमिश्नर को भी भेजी जाए
14वां पॉइंट गाइडलाइन का पालन ना करर कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी और इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर
बनाना होगा और मुआवजा भी देना पड़ेगा बाकायदा अगर गलत वजह से अगर किसी का मकान ढा दिया तो फिर अधिकारी और प्रशासन जिम्मेदार होगा समझ गए हो
15वां पॉइंट ये है कि हमारे डायरेक्शन सभी मुख्य सचिवों को भेजे जाए तो ये आज देश भर की सभी राज्य और केंद्र सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 15 गाइडलाइंस के पॉइंट जारी किए गए