Kumbh 2025 का आयोजन भारतीय धार्मिक परंपरा का एक ऐतिहासिक समागम था, जो महाशिवरात्रि के दिन, बुधवार को संपन्न हुआ। यह मेला हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है और हर बार यह लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस बार के महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी के संगम में आस्था की डुबकी लगाई, और पुण्य लाभ अर्जित किया।
हालांकि, भारी भीड़ के कारण कई श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने से वंचित रह गए थे, लेकिन अब जब मेला समाप्त हो चुका है और भीड़ कम हो गई है, लोग धीरे-धीरे संगम की ओर बढ़ रहे हैं, और वह दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं, जिसे वे पहले नहीं प्राप्त कर पाए थे।
जल पुलिस की सुरक्षा में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा रहे हैं
Kumbh के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई थी। जल पुलिस के प्रभारी जनार्दन साहनी ने बताया कि संगम में श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक थी कि कई लोग भीड़ की वजह से अपने पुण्य लाभ को अर्जित नहीं कर पाए। अब जैसे-जैसे मेला समाप्त हुआ और भीड़ कम हो गई है, श्रद्धालु एक बार फिर संगम पहुंच रहे हैं और गंगा में स्नान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आम दिनों के मुकाबले संगम में श्रद्धालुओं की संख्या अभी भी अधिक है, और वे सभी आनंद के साथ गंगा में डुबकी लगा रहे हैं।

संगम में डुबकी लगाने का महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत गहरा है। जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी तैनात थीं, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा का ख्याल रख रही थीं। इन सुरक्षा प्रबंधों की वजह से श्रद्धालुओं को शांति और विश्वास के साथ स्नान करने का अवसर मिला।
जल पुलिस का यह प्रयास इस बात को सुनिश्चित करता है कि इस धार्मिक आयोजन में किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
Kumbh में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु
Kumbh 2025 के दौरान संगम में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई, जो महाकुंभ के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। यह संख्या दर्शाती है कि कितने लोग इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए आए।
हालांकि, भारी भीड़ के कारण कई श्रद्धालु मेला समाप्त होने से पहले पुण्य लाभ अर्जित नहीं कर सके थे। उन्हें डर था कि मेला समाप्त होने के बाद भीड़ कम नहीं होगी और वे इस अवसर से चूक जाएंगे। लेकिन जैसे-जैसे मेला खत्म हुआ, और अधिक श्रद्धालु संगम की ओर बढ़ रहे हैं और इस दिव्य अवसर का लाभ उठा रहे हैं।
श्रद्धालुओं के अनुभव: मेले में सम्मिलित होने का अवसर
Kumbh का यह आयोजन केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज और संस्कृति के एक बड़े समागम का प्रतीक भी था। देशभर के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आए थे। कुछ श्रद्धालु तो ऐसे थे जिनके लिए यह यात्रा एक लंबी प्रतीक्षा के बाद संभव हो पाई थी।

चेन्नई से आए आशीष कुमार सिंह ने बताया, “मैं बृहस्पतिवार की रात साढ़े 11 बजे प्रयागराज पहुंचा और आज संगम में डुबकी लगाई। मेला समाप्त होने के बाद ही मैंने यहां आने का निर्णय लिया था, क्योंकि भीड़ बहुत अधिक थी।” आशीष ने कहा कि उनका जन्म बिहार में हुआ, लेकिन वह चेन्नई में पले-बढ़े हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह हिंदी, भोजपुरी और तमिल भाषा में भी बात कर लेते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि महाकुंभ का आयोजन सांस्कृतिक विविधता का एक मंच है।
वहीं, जयपुर से आए योगेंद्र गंगवार ने भी अपने अनुभव साझा किए। योगेंद्र ने कहा, “मैं मेला देखने से चूक गया क्योंकि ट्रेनों और बसों में जगह नहीं थी। अब जब मेला समाप्त हो चुका है, तो मुझे आराम से जयपुर से प्रयागराज आने का अवसर मिला है। अब मेरी योजना संगम में डुबकी लगाने की है।”
यह भी दर्शाता है कि महाकुंभ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक बड़ा यात्रा और आयोजन भी होता है। भारी भीड़ और परिवहन की कठिनाइयों के कारण कई श्रद्धालु समय पर यहां नहीं पहुंच पाए थे, लेकिन अब वे पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए संगम पहुंच रहे हैं।
Kumbh का महत्व: समाज, संस्कृति और धर्म का संगम
महाकुंभ का उद्देश्य केवल पुण्य लाभ अर्जित करना नहीं होता, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और सांस्कृतिक समागम को भी प्रकट करता है। यह आयोजन भारतीय धर्म, संस्कृति और आस्था की गहरी जड़ों को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालु इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
महाकुंभ में शामिल होने का अनुभव न केवल एक धार्मिक कृत्य होता है, बल्कि यह जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने की एक यात्रा भी होती है।

संगम में स्नान करने का परंपरागत अर्थ यह है कि श्रद्धालु खुद को शुद्ध मानते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की आशा रखते हैं। यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक प्रतीक है, जो पूरी दुनिया में भारतीय धर्म के प्रभावशाली संदेश को प्रसारित करता है।
समाप्ति के बाद भी श्रद्धालुओं का आना जारी
Kumbh 2025 के समापन के बाद भी श्रद्धालुओं का संगम आना जारी है। उनके चेहरों पर संतोष और आस्था का भाव साफ देखा जा सकता है। इस आयोजन ने न केवल भारतीय समाज को एकजुट किया, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का प्रभावशाली संदेश भी दिया।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवन की यात्रा है, जो हर श्रद्धालु के दिल में एक अमिट छाप छोड़ जाती है।
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