गाजियाबाद में हुई शादी ने दिया पर्यावरण संरक्षण और Social service का अनोखा संदेश
आजकल शादियाँ सिर्फ दो परिवारों के मिलन का प्रतीक नहीं होतीं, बल्कि ये एक सामाजिक घटना बन गई हैं, जहाँ दिखावे और फिजूलखर्ची की होड़ ने समाज के मूल्यों को प्रभावित किया है।
लेकिन गाजियाबाद में पर्यावरण कार्यकर्ता सुरविंदर किसान और प्रिया चौधरी की शादी ने इस धारा से हटकर एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह शादी न केवल सादगी का प्रतीक बनी, बल्कि समाज में बदलाव लाने और पर्यावरण संरक्षण का एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया।
दहेज में 11000 पौधों का उपहार और फिजूलखर्ची से परहेज
इस शादी का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि दूल्हे सुरविंदर और दुल्हन प्रिया ने दहेज में 11000 पौधे लिए। यह कदम दहेज की कुरीति को समाप्त करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ। साथ ही, इस जोड़े ने प्लास्टिक और आतिशबाजी का बहिष्कार किया, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके और पर्यावरण का संरक्षण हो सके।
आजकल शादियों में जहां लोग बड़ी-बड़ी सजावट, महंगे तोहफे और आतिशबाजी का आयोजन करते हैं, वहीं इस जोड़े ने दिखा दिया कि शादियाँ भी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जा सकती हैं।
दुल्हन की विदाई – सादगी और ग्रामीण संस्कृति का प्रतीक
शादी के एक सशक्त और प्रेरणादायक पल के रूप में दुल्हन प्रिया की विदाई रही। महंगी कार की बजाय, प्रिया की विदाई फूलों से सजी बैलगाड़ी में हुई। यह सादगी का प्रतीक था और यह संदेश दिया गया कि हमारी संस्कृति और ग्रामीण जीवन को सम्मानित किया जाना चाहिए।

सुरविंदर ने इस बात पर जोर दिया कि दहेज और महंगी शादियों की वजह से समाज में कई सामाजिक कुरीतियां पनप रही हैं। वे चाहते थे कि बैलगाड़ी से विदाई देकर हम उन कुरीतियों को खत्म करने का संदेश दें, जो समाज के विकास में रुकावट डालती हैं।
दूल्हे सुरविंदर का 10 संकल्प वाला निमंत्रण पत्र
शादी से पहले सुरविंदर ने मेहमानों को एक विशेष निमंत्रण पत्र भेजा था, जिसमें 10 महत्वपूर्ण संकल्प शामिल थे। इन संकल्पों में Social service और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराया गया था। संकल्पों में गौ सेवा, सिलाई स्कूल का उद्घाटन, झुग्गी-झोपड़ियों में शिक्षा अभियान, नशा मुक्ति जागरूकता, 51 डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना, रक्तदान शिविर, सर्वधर्म आशीर्वाद समारोह, गांव गोद लेने की योजना और शादी में फिजूलखर्ची से बचाव जैसे बिंदु शामिल थे।
इन संकल्पों ने यह साबित कर दिया कि शादी केवल निजी अवसर नहीं है, बल्कि यह समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने का एक बड़ा अवसर हो सकता है।
हनीमून की बजाय वृद्धों के लिए भारत दर्शन तीर्थ यात्रा
आजकल हनीमून पर जाने का ट्रेंड बहुत ज्यादा है, लेकिन इस जोड़े ने हनीमून पर न जाकर एक खास कदम उठाया। उन्होंने वृद्धों के लिए भारत दर्शन तीर्थ यात्रा आयोजित करने का फैसला किया। यह कदम वृद्धों के लिए सम्मान और समर्पण का प्रतीक था और इस जोड़े ने यह दिखाया कि किसी भी खास अवसर पर जरूरतमंदों के लिए कुछ किया जाए तो यह ज्यादा सार्थक होता है।
Social service से मिली सराहना और प्रेरणा
इस शादी में कई प्रमुख समाजसेवी और नेता शामिल हुए, जिनमें किसान नेता वी.एम. सिंह, कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा, पूर्व मेयर आशु वर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता ऋचा सूद शामिल थे। वी.एम. सिंह ने कहा, “यह शादी केवल दो लोगों के मिलन का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा है।
हमें इससे सीखना चाहिए।” वहीं, कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा ने इस शादी को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि इस शादी ने यह साबित कर दिया कि सामाजिक कुरीतियों को दूर कर भी एक यादगार और प्रेरणादायक शादी की जा सकती है।
सोशल मीडिया पर हो रही है तारीफ
इस शादी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। लोग इसे एक बदलाव की शुरुआत मान रहे हैं और कह रहे हैं कि यदि इस तरह के आयोजनों की संख्या बढ़े, तो समाज में कई कुरीतियां मिटाई जा सकती हैं। यह शादी इस बात का उदाहरण है कि शादी सिर्फ धूमधाम का मौका नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश देने का भी अवसर हो सकता है।

सुरविंदर और प्रिया की शादी ने यह दिखाया कि अगर हम Social service और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें, तो हम एक बेहतर और सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह शादी सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसा संदेश था जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी और इसे अपनाएंगी।
आज के समय में, जब शादियों को लेकर दिखावा और फिजूलखर्ची आम बात बन चुकी है, सुरविंदर और प्रिया की शादी ने इस सोच को चुनौती दी है। यह समाज को यह याद दिलाती है कि हम जब भी कोई खास अवसर मनाते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि Social service और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी क्या है।
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